समस्तीपुर : साहब! आप तो बेहतर पुलिसिंग की बात करते है लेकिन सोसल मिडिया को छोड् जमीन पर यह कही नही दिखता है. हालत तो यह है कि रंगदारी जैसे संगीन मामले में भी आपकी पुलिस तब प्राथमिकी दर्ज करती है जब आरोपी गिरफ्तार हो जाता हँ नही तो डेढ माह तक पीडि़त हर रोज मरता रहता है. कुछ ऐसा ही मामला जिले के मुसरीघरारी थाना से सामने आया है. जहां रंगदारी और जान से मार देने की धमकी दिये जाने के गंभीर मामले में पुलिस ने शिकायत के डेढ़ महीने बाद एफआईआर दर्ज की है. और वह भी तब जब अपराधी पकड़े गये. इतना ही नहीं एक दिन में ही घटना का खुलासा एवं घटना को अंजाम देने वाले अभियुक्त की गिरफ्तारी भी हो गयी. प्रेसवार्ता कर मीडिया में वाहवाही भी बटोरी गयी. जब मीडिया कर्मियों ने एफआईआर में होने वाले विलंब के कारणों को जानने का प्रयास किया तो पीड़ित पक्ष पर ही आवेदन विलंब से देने का आरोप लगाकर पुलिस पदाधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया. लेकिन जब मामले की पड़ताल की गई तो जो सामने आया वो किसी के भी होश उड़ाने के लिये काफी था। बता दें कि मुसरीघरारी पुलिस ने हुंडई की लग्जरी कार और 5 लाख रुपए रंगदारी मांगने के जिस मामले की प्राथमिकी संख्या-(216/23) 29 दिसंबर 2023 को दर्ज की, उस घटना की शिकायत 17 नवंबर 2023 को ही की गयी थी. पीड़ित की मानें तो 16 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक लगातार उसके एवं उसके भतीजे के मोबाइल पर व्हाट्सएप मैसेज और कॉलिंग कर बदमाशों द्वारा रंगदारी की मांग की . जिसको लेकर घटना के पहले दिन ही मुसरीघरारी थानाध्यक्ष को लिखित आवेदन दिया गया. उसके बाद कई बार फोन पर भी इसकी सूचना दी, लेकिन थानाध्यक्ष ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसे मोबाइल नंबर बदल लेने और बदमाशों के नम्बर को ब्लॉक कर देने की नसीहत दी. आलम यह था कि पीड़ित और उसका भतीजा डर के मारे घर से बाहर निकलना तक छोड़ दिया था. पीड़ित सोनू कुमार बताते हैं कि थानाध्यक्ष तो एफआईआर करने को तैयार ही नहीं हो रहे थे. एफआईआर दर्ज नहीं किये जाने पर उसने 24 नवंबर को एसपी के जन शिकायत कोषांग में भी इसकी शिकायत की थी. जब एसपी से शिकायत करने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिला तो थक हार कर उसने स्थानीय विधायक सह मंत्री विजय चौधरी से इस मामले की शिकायत की. मंत्री के पहल के बाद थानाध्यक्ष ने उसे एक दिन फोन कर बुलाया और आवेदन पर साइन करवा कर कहा कि आपके शिकायत पर काम हो रहा था, अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पीड़ित का तो यह भी कहना है कि पुलिस ने इस मामले में दो अभियुक्त को गिरफ्तार किया था. जिसमें एक अभियुक्त को छोड़ दिया गया.
क्या कहती है पुलिस
शुरुआती दौर में मैसेज के मार्फ़त गालीगलौज किया जा रहा था. इसलिए पीड़ित के द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराया गया था. बात बढ़ते-बढ़ते जब रंगदारी और जान से मारने की धमकी तक पहुंच गयी तब उसने (पीड़ित) एफआईआर दर्ज करवाया
.पंकज कुमार
थानाध्यक्ष मुसरीघरारी