समस्तीपुर : सरकारी स्कूल के बच्चों को जमीन पर न बैठना पड़े इसके लिए बेंच-डेस्क खरीदी की योजना सरकार ने बनायी. गुणवत्ता भी तय की गई, मानक निर्धारित किया गया. खरीद के लिए डीपीओ योजना एवं लेखा ने नियम जारी किये. पत्रांक 946, दिनांक 27/12/23 में निदेशक प्राथमिक शिक्षा के पत्र का हवाला निर्देश दिया गया कि प्रखंडवार एजेंसी को बेंच-डेस्क क्रय के लिए अधिकृत किया गया है. वहीं पत्रांक 952, दिनांक 30/12/2023 के माध्यम से अपर मुख्य सचिव के पत्र का हवाला देते हुए निर्देशित किया गया कि स्थानीय बाजार से निबंधित प्रतिष्ठानों से तीन कोटेशन प्राप्त कर न्यूनतम कोटेशन में मानक के अनुरूप बेंच-डेस्क क्रय करना है. इसके कारण उहापोह की स्थिति बनी हुयी है. विद्यालयों को बेंच एवं डेस्क के आवंटन को लेकर जिले का शिक्षा महकमा एक बार फिर विवादों में है. बताते चलें कि जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के लेखा एवं योजना संभाग के पत्रांक 946 दिनांक 27.12. 2023 के द्वारा जिले के 150 विद्यालयों को बेंच एवं डेस्क का आवंटन किया गया है. 150 विद्यालयों की सूची में समस्तीपुर प्रखंड से मात्र 7 जबकि वारिसनगर प्रखंड से मात्र एक विद्यालय को शामिल किया गया है. शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों का चयन किस आधार पर किया गया इस बारे में विभाग द्वारा कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया. ऐसा प्रतीत होता है कि पिक एंड चूज की पद्धति अपनाई गयी है. कई प्रधानाध्यापकों का कहना है कि बेंच डेस्क की खरीद के लिए विद्यालय शिक्षा समिति को कम से कम तीन आपूर्तिकर्ताओं से कोटेशन प्राप्त करना था, तदुपरांत सबसे न्यूनतम दर वाले आपूर्तिकर्ता से बेंच टैक्स की खरीद की जानी थी. इससे इतर विभाग ने अपने स्तर से ही जिले के विभिन्न प्रखंडों के लिए अलग-अलग वेंडर नियुक्त कर दिया है जिससे न केवल संशय की स्थिति व्याप्त है बल्कि वित्तीय अनियमितता की भी संभावना रहेगी. कुछेक एचएम ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि वेंडर तय कर दिये जाने से अब आपूर्तिकर्ताओं से निविदा प्राप्त करने की बात महज औपचारिकता ही रह जायेगी. जिले के कई व्यवसायियों ने बताया कि विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं को विभाग में जिस प्रकार नामित किया है यह अपने आप में एक अनियमितता है. विभाग ने समाचार पत्र या अन्य किसी माध्यम से इसकी कोई सूचना नहीं दी. जिससे स्पष्ट होता है की जिले के शिक्षा विभाग के कुछ पदाधिकारी ने स्वयं से जुड़े कुछ लोगों को आपूर्तिकर्ता के रूप में नियुक्त कर दिया है. जिले में बेंच डिस्क के व्यवसाय से जुड़े कई व्यापारियों ने आशंका जतायी कि सब काम चोरी छुपे किया जा रहा. यह भी जानकारी मिल रही है कि आपूर्ति किये जा रहे फर्नीचर मानक अनुरूप न होने के बावजूद उन्हें रख लेने का दवाब जिला से बनाया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने हाई स्कूलों के लिए 65 लाख रुपए भेजना था लेकिन 35 लाख ही भेजा गया. इस वजह से सात हाई स्कूल को हो बेंच-डेस्क क्रय करने की राशि फिलहाल दी जायेगी. जबकि 26 हाई स्कूल को बेंच डेस्क क्रय के लिए राशि दी जानी थी. वही प्रारंभिक विद्यालयों के लिए तीन करोड़ चालीस लाख आवंटन देना था लेकिन जिला को एक करोड़ सत्तर लाख ही राशि दी गयी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने बताया कि विभागीय दिशा-निर्देश के आलोक में बेंच-डेस्क क्रय करना है. मानक से कोई समझौता नहीं किया जायेगा.