समस्तीपुर : आलाकमान का आदेश है कि स्कूल की पोषण वाटिका में उगी ताजी सब्जियां बच्चों की थाली में परोसें, लेकिन आलम है कि पोषण वाटिका में कहीं फूल तो कहीं धूल दिखाई पड़ रहे हैं. बच्चों को ताजी हरी सब्जियां उपलब्ध कराने के साथ-साथ खेती के गुर सिखाने के उद्देश्य से सरकार ने प्राथमिक तथा मध्य विद्यालय परिसर में पोषण वाटिका का संचालन करने का निर्देश जारी किया था. बच्चों में पोषण को बढ़ावा देने के लिए अंकुरण परियोजना के तहत पोषण वाटिका नये अंदाज में संचालित करने का निर्देश शिक्षा विभाग ने दिया था. राज्य एमडीएम कार्यालय की ओर से पोषण वाटिका के संचालन के लिए जिले में 606 विद्यालयों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इनमें से 162 विद्यालयों में अंकुरण परियोजना के तहत पोषण वाटिका का निर्माण व संचालन के लिए चयन किया गया. पहले कोरोना संक्रमण काल में स्कूल के बंद रहने से चयनित अधिकांश विद्यालयों में पोषण वाटिका उचित प्रबंधन व सिंचाई के अभाव में नष्ट हो गयी. जिले के 2552 स्कूलों में पीएम पोषण योजना संचालित हो रही है. वही कुछ स्कूलों में स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से भोजन की आपूर्ति की जाती है. इसके अलावा शेष बचे विद्यालयों में रसोइयों के माध्यम से प्रधानाध्यापक की देखरेख में मध्यान भोजन बनाया जाता है. चार साल पहले इसकी शुरुआत विभाग ने की थी.जिला शिक्षा विभाग पोषण वाटिका की वस्तु स्थिति से अवगत नहीं करा सके. आंकड़ों का हवाला देकर और कुछ विद्यालयों में हरी भरी पोषण वाटिका का उदाहरण देकर और बेहतर बनाने की बात कहते दिखे. हकीकत यह है कि चंद विद्यालयों में ही विधिवत रूप से इस योजना का संचालन हो रहा है. कई विद्यालयों में पोषण वाटिका में तरह-तरह के फूल खिले हैं तो कई स्कूल ऐसे हैं जहां सब्जी की क्यारियां धूल से पटी हुई है. इस स्थिति में सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. बच्चे को न तो ताजी सब्जियां मिल रही हैं और न ही वे खेती के गुर से अवगत हो पा रहे हैं. कोरोना काल में बंद विद्यालय को बता रहे बदहाली का कारण शिक्षक पोषण वाटिका की बदहाली को लेकर कोरोना काल में बंद विद्यालय का हवाला दे रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि बंद विद्यालय रहने के कारण पोषण वाटिका की देखभाल नहीं हो सकी जिसके कारण पौधे सूख गए. हालांकि संपूर्ण लॉकडाउन को छोड़ संक्रमण काल में शिक्षकों के लिए विद्यालय खुले थे. उस समय सरकार शिक्षकों से कई अन्य कार्य भी ले रही थी लेकिन पोषण वाटिका को बचाने की जहमत नहीं उठाई गई. विद्यालय में कार्यरत रसोइयों को उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी. दरअसल रसोईया उसी गांव की होती है जहां विद्यालय है. रसोइयों के लिए पोषण वाटिका की देखभाल करना काफी सहज होता लेकिन कहीं न कहीं इमानदारी से इसके बचाव के लिए जो प्रयास होना चाहिए वह नहीं हो सका.परिणामस्वरूप अपनी क्यारी अपनी थाली जिले में विफल साबित हो रही है.एक आदमी को रोज चाहिए 250 ग्राम सब्जियां और 80 ग्राम फलफल एवं सब्जियां मानव आहार के मुख्य घटक हैं. स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण खनिज पदार्थों एवं लवणों के मुख्य सूत्र होने के कारण इन्हें संरक्षित खाद्य पदार्थ तथा स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है. भारतीय औषधि अनुसंधान परिषद के अनुसार एक वयस्क व्यक्ति के आहार में प्रतिदिन 250 ग्राम सब्जियां तथा 80 ग्राम फलों का होना अत्यंत आवश्यक है. फलों और सब्जियों के उत्पादन में संतोषजनक वृद्धि के उपरांत भी इनकी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपलब्धता जरुरी स्तर से कम है. ऐसे में निम्न और गरीबी रेखा वालों के लिए फल और सब्जियां और मुश्किल काम है. बाजारों में फल- सब्जियों की महंगाई भी इन्हें गरीबों की थाली से दूर ले जाती है. इसके साथ ही एक और ध्यान देने योग्य बात है. फल और सब्जियों के उत्पादन का बड़ा हिस्सा (8–30 प्रतिशत) तक उचित तुड़ाई प्रबंधन के अभाव में उपयोग से पहले ही खराब हो जाता है.