समस्तीपुर : शिक्षा विभाग में इन दिनों आउटसोर्सिंग जोरों पर है. शौचालय की सफाई कार्य से लेकर शिक्षक तक आउटसोर्सिंग से पूरे किये जा रहे हैं. परन्तु आउटसोर्सिंग के नाम पर विभाग द्वारा उठाये जा रहे कदम अब आम आदमी को पच नहीं पा रहा है. ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है. बिहार शिक्षा परियोजना समस्तीपुर के डीपीओ सर्व शिक्षा मानवेन्द्र राय ने पटना के आदित्य टेंट हाउस को पत्र लिखकर जिले के दस प्रखंडों के लिए बीआरपी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. हालांकि इस पत्र में प्रखंड साधनसेवी के लिए न्यूनतम अर्हता का जिक्र किया गया है. लोगों के बीच यह चर्चा आम है कि शिक्षा विभाग के इस नये दौर में न केवल हर कोई गंगा नहाने को तैयार है, बल्कि विभाग भी कहीं न कहीं ऐसे लोगों को शह दे रहा है. ठीक इसी प्रकार का मामला जिले के विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना की थाली आवंटन में भी देखने को मिला. सूत्र बताते हैं कि जिले के एक डीपीओ और एक आला अधिकारी के दवाब में विद्यालयों को शहर के मोहनपुर रोड स्थित टायर दुकानदार से बर्तन क्रय करने को मजबूर होना पड़ा. कई एचएम ने बताया कि माही इंटरप्राइजेज नाम की संस्था के प्रतिनिधि विद्यालय पर बर्तन पहुंचा कर एवं पदाधिकारी से दवाब डलवा कर चेक ले गये. मरम्मत एवं निर्माण में भी इस प्रकार की बातें सामने आ रही है. यह भी चर्चा है कि सर्व शिक्षा कार्यालय के कुछ कर्मी एवं कई प्रखंडों के लेखपाल भी अलग-अलग नामों से फर्जी संस्था बनाकर आपूर्ति के इस खेल में शामिल हैं. इस बावत पूछे जाने पर डीपीओ एसएसए मानवेन्द्र राय ने बताया कि टेंट हाउस राज्य कार्यालय से ही सूचीबद्ध किया गया है. सभी प्रक्रिया नियमानुसार ही की जा रही है. आउटसोर्सिंग का कार्य शिक्षा विभाग के सूचीबद्ध एजेंसियों से लिया जा रहा है. डीपीओ एसएसए ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंड के लिए 100 प्रखंड साधनसेवी की बहाली होनी थी. प्रत्येक प्रखंड के लिए पांच प्रखंड साधनसेवी की बहाली के लिए रिक्ति थी लेकिन बाद के दिनों में कतिपय कारणों से बहाल प्रखंड साधनसेवी पद छोड़ते गये और रिक्ति बढ़ती चली गयी. विभाग दिशा-निर्देश के आलोक में उक्त एजेंसी से करीब 60 प्रखंड साधनसेवी की बहाली की गयी.