समस्तीपुर : उपविकास आयुक्त सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के विकास विरोधी रैवये के खिलाफ जिला परिषद सदस्यगण अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गये हैं. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को उनके ही जिला परिषद कार्यालय, प्रकोष्ठ में तालाबंदी कर बंद कर दिया गया. बाद में डीएम के हस्तक्षेप पर तकरीबन साढ़े तीन घंटे बाद ताला खोला गया. डीडीसी पर विकास के प्रति उदासीन रैवया तथा हठधर्मिता अपनाने का आरोप लगाया है. धरना जिला परिषद कार्यालय के प्रांगण में शुरू किया गया है. धरना में मुखिया, उपप्रमुख तथा पंचायत समिति सदस्यों ने भी भाग लिया. इसके अलावा 15 वीं वित्त आयोग से संचालित योजनाओं बकाया मजदूरी भुगतान के लिये अनेकों मजदूर तथा आपूर्तिकर्ता भी धरना में शामिल हुये. धरनार्थियों ने उपविकास आयुक्त को चेतावनी देते हुये कहा कि अगर उनकी आठ सूत्री मांग पर विचार नहीं किया गया तो वे विधानसभा और विधान परिषद पर जाकर आंदोलन करने को विवश होंगे. वक्ताओं ने कहा कि तकरीब छह माह से जिले का विकास कार्य पूरी तरह ठप है. मजदूर पलायन कर रहे हैं. जिला में 15 वीं वित्त आयोग और राज्य षष्टम वित्त मद की राशि का व्यय शून्य है. जबकि जिला समस्तीपुर में दोनों मदों में तत्काल तकरीबन 100 करोड़ रुपये उपलब्ध है. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत इस जिले के विकास की गति को अवरूद्ध करने का किया किया जा रहा है. जिला परिषद अध्यक्ष के द्वारा कई बार मौखिक एवं लिखित रूप से तमाम बिन्दुओं को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष रखने का कार्य किया लेकिन उनके द्वारा तमाम बिन्दुओं को अनदेखा कर दिया गया है. मजदूरों, आपूर्तिकर्ता एवं पंचायत प्रतिनिधियों के विवश होकर आंदोलन शुरू किया गया है. जबतक मांगें पूरी नहीं होगी अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा. जरूरत होने पर उग्र आंदोलन भी किया जायेगा. जिले में चक्का जाम आंदोलन किया जायेगा. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को उनके ही जिला परिषद कार्यालय, प्रकोष्ठ में तालाबंदी कर बंद कर दिया गया. इसके साथ मुख्यमंत्री से विकास पदाधिकारी पदाधिकारी अविलंब स्थानांतरण करने की मांग की गयी.