समस्तीपुर मायण सेवा सत्संग समिति द्वारा बंगरहट्टा ब्रह्मस्थान में आयोजित कथा के पांचवें दिन श्रीधामवृंदावन से पधारीं दिव्यांशी ने राम के विवाह का मार्मिक चित्रण किया. कथा में उन्होंने बताया कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को राम का विवाहोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि त्रेता युग में पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार अपने चरम पर था. उस समय मुनी विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा करने के उद्देश्य से अयोध्या के राजा दशरथ से उनके पुत्र राम व लक्ष्मण को मांग कर ले गये. यज्ञ की समाप्ति के बाद विश्वामित्र को जनकपुरी के रास्ते से वापसी आने के समय जनक की पुत्री सीता के स्वयंवर की जानकारी मिली. मुनी ने राम व लक्ष्मण को लेकर स्वयंवर में पधारे. सीता स्वयंवर में राजा जनक ने घोषणा की कि जो भी योद्धा शिवजी के धनुष को तोड़ देगा. उसके साथ सीता का विवाह किया जाएगा. स्वयंवर में राजा महाराजाओं के परिचय देने के बाद स्वयंवर आरम्भ हुआ. वहीं श्री रामसिया के विवाहोत्सव पर महिला भक्तों ने जमकर नृत्य किया. बंगरहट्टा के काफी संख्या में पुरुष व महिला भक्तों ने कथा को बड़े ध्यान से सुना. आचार्य कपिल दीक्षित के मंत्रों ने भक्तों को बहुत आनंदित किया.