हाईकोर्ट की निगरानी हटी तो फर्जी शिक्षकों की खोज थमी

प्रतिनिधि,समस्तीपुर: निगरानी विभाग की गिरफ्त में विगत दस साल में अभी तक 105 फर्जी शिक्षक ही गिरफ्त में आ सके है. वही दर्जनों शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र राज्य के बाहर के है जो जांच के लिए संबंधित बोर्ड व विवि में लंबित पड़े हुए है.जिला नियोजित शिक्षकों की बहाली में जो फर्जीवाड़ा हुआ है, वो गुत्थी अभी तक निगरानी विभाग नहीं सुलझा सका है. जानकारी के मुताबिक 11,454 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच होनी है. अब तक करीब 3545 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल पाया है. ऐसे में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने में निगरानी विभाग के पसीने छूट रहे हैं. जबकि जिले के फर्जी शिक्षक अपनी पहुंच के बल पर कार्रवाई से बचते हुए अभी तक सरकारी राशि को हजम कर रहे हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर बहाल शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच निगरानी विभाग कर रही है.जिले में कितने फर्जी शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं? इसकी अपडेट जानकारी शिक्षा विभाग के पास नहीं है. जांच के क्रम में वर्ष 2014 में मामला सामने आया था कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से शिक्षक बहाल हो गए हैं. जांच का निर्णय लिया गया. सुस्त रफ्तार के बाद हाईकोर्ट में मामला पहुंचा. दलील दी गई कि वर्ष 2006 से नियोजित होने वाले शिक्षकों में से करीब दो हजार से अधिक शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंप दिया. निगरानी विभाग को जिलों में जांच अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए गए. जांच की प्रक्रिया बढ़ी तो गड़बड़ी सामने आई.

गड़बड़ी पर कार्रवाई, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का क्या

गड़बड़ी कर फर्जी प्रमाण पत्र देकर नियुक्त होने वाले शिक्षकों पर तो कार्रवाई की जा रही है. ऐसे शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया गया. लेकिन, 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए फर्जी शिक्षकों द्वारा पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? उन्हें किस प्रकार की शिक्षा इन शिक्षकों के माध्यम से मिली होगी, इसका सहज अंदाजा लगा सकते हैं. इन फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति करने वालों की पहचान कर पाने में अब तक सरकार सफल नहीं हो सकी है. बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ के इन दोषियों को भी सजा दिलाने की व्यवस्था करनी होगी. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कुछ बोलने से कतराते हैं. कहा गया था कि फर्जी प्रमाण पत्र पाये जाने पर पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट के अंतर्गत उनसे अब तक ली गई वेतन की राशि की वसूली उनसे की जायेगी. हालांकि राशि वसूली में विभाग की स्थिति अच्छी नहीं है. वही हाल में हुए विभूतिपुर फर्जी शिक्षक प्रकरण ने साबित कर दिया है कि अभी भी फर्जी शिक्षक बहाल है और वेतन उठा रहे है. इधर सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले आधा दर्शन से अधिक शिक्षकों की काउंसिलिंग के दौरान भी कई शिक्षकों के दस्तावेजों में गड़बड़ी मिली है. ऐसे में शिक्षा विभाग संबंधित विश्वविद्यालयों से इन शिक्षकों की शैक्षणिक रिकॉर्ड की जांच करवा रहा है. साथ ही, इन शिक्षकों द्वारा दिए गए अनुभव प्रमाण पत्रों की भी सत्यता की जांच की जा रही है

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