समस्तीपुर : बालिका स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों में सहेली कक्ष को स्थापित करने पर फिलहाल विराम लग गया है. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक बी.कार्तिकेय धनजी की ओर से इस मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक पहल की जा रही थी. उनकी ओर से डीईओ व एसएसए डीपीओ को लगातार पत्राचार भी किया जा रहा था. जानकारों के मुताबिक इस निर्देश के आलोक में कई विद्यालयों में सहेली कक्ष की स्थापना भी कर ली गई थी. लेकिन, 23 दिसंबर को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने एक पत्र जारी कर अगले आदेश तक सहेली कक्ष की स्थापना पर रोक लगा दी है. पत्र में एसीएस ने कहा है कि सहेली कक्ष के लिए अलग से आवंटित कमरे का उपयोग क्लास रूम के तौर पर किया जाएगा. ऐसे में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों व जनप्रतिनिधियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रवैये पर सवाल उठाया है. वहीं, छात्राओं में निराशा का माहौल है. डीईओ मदन राय ने बताया कि जिले के सभी मिडिल और हाईस्कूलों में सहेली कक्ष बनाने का निर्देश दिया गया था. स्कूल के एक कक्ष को सहेली कक्ष बनाकर एक शिक्षिका को नोडल अधिकारी बनाया जाना था. इनके नेतृत्व में बच्चियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर अलग-अलग काम होने थे. बालिका स्वास्थ्य और स्कूलों में बच्चियों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर यह पहल की गई है. बेटियों के जन्मदिन व अन्य विशिष्ट दिवस पर पैड व साबुन देने की परंपरा विकसित की जानी थी. महिला विकास निगम, यूनिसेफ व जनप्रतिनिधियों का भी इसमें सहयोग लिया जाना है. निदेशक बी. कार्तिकेय धनजी ने कहा है कि एक महीने के भीतर इस कक्ष का निर्माण कर विभाग को रिपोर्ट करें. नोडल अधिकारी हर सप्ताह इस कक्ष में बच्चियों के साथ कम से कम 30 मिनट की बैठक करेंगी, जिसमें उनके स्वास्थ्य और समस्याओं पर चर्चा होनी थी.छात्राओं के लिए नहीं है कॉमन रूम
सरकारी विद्यालयों में कॉमन रूम नहीं है. इस कारण छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस रूम का उद्देश्य छात्राओं को बैठकर परिचर्चा करने, अखबार पढ़ने, पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने और खाली समय में दूसरी कक्षा का इंतजार करने के लिए किया जाता है. छात्राओं ने बताया कि विशेष रूप से युवा वयस्क लड़कियों के लिए व्यक्तिगत स्थान की आवश्यकता होती है. उनके लिए अपने समकक्षों के साथ बातचीत करना, चर्चा करना और जरूरत पड़ने पर आराम करना बहुत जरूरी है.