अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए : प्राचार्य

समस्तीपुर : शहर के वीमेंस कॉलेज में बुधवार को ऑनलाइन हिंदी,उर्दू,मैथिली और संस्कृत विभाग द्वारा प्रधानाचार्या प्रो. सुनीता सिन्हा की अध्यक्षता और सोनी सलोनी के संयोजन में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया. एक सौ से अधिक छात्राओं ने भाग लिया. प्रधानाचार्या प्रो सिन्हा ने कहा कि मातृभाषा हमारी सामाजिक, संस्कृति और संस्कार की पहचान होती है. अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए और संरक्षित करना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 की थीम है “बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है“. ये थीम पीढ़ीगत शिक्षा को बढ़ावा देने में बहुभाषी शिक्षा के महत्व पर जोर देता है. भारत में 19 हजार से ज्यादा मातृभाषा हैं. साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 43.63 फीसदी लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं. दूसरे नंबर पर बांग्ला और तीसरे नंबर पर मराठी भाषा है. हिंदी विभागाध्यक्षा प्रो सोनी सलोनी कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कहा कि अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए इस वर्ष की थीम ””बहुभाषी शिक्षा है पीढ़ीगत शिक्षा का आधार”” है. साल 2011 में भारत सरकार द्वारा की गई जनगणना के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 मातृ भाषाएं बोली जाती हैं. अनुसूचित भाषाओं की श्रेणी में कुल 123 मातृभाषाएं हैं और 147 मातृभाषाओं को गैर-अनुसूचित भाषाओं के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है. उर्दू की प्रो फरहत जबीन ने कहा कि नई शिक्षा नीति में अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का प्रावधान किया है जो भारत को विश्व गुरु बनाएगा. अर्थशास्त्र विभागाध्यक्षडा. विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य में अपनी मातृभाषा के प्रसार पर बल देना चाहिए.यह विश्व स्तर पर मातृ भाषाओं के महत्व को मनाने का एक अवसर है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भाषाओं और भाषाई विविधता को बढ़ावा देना है, लेकिन आज हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए कर सकते हैं. मैथिली के प्रो. अरूण कुमार कर्ण ने कहा कि अपनी मातृभाषा को भी प्रशासनिक भाषा बनाना चाहिए.कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा कुमारी अनु ने कहा कि मातृभाषा को उपेक्षा करना अपनी संस्कार को उपेक्षा करना है. कार्यक्रम को शिफा, गौसिया, मोती, सपना, पल्लवी, हिमांशी आदि छात्राओं ने भी संबोधित किया. महाविद्यालय के डा ममता कुमारी, डा स्नेहलता डा स्वीटी दर्शन, डा बबली कुमारी सहित सभी शिक्षकों ने भाग लिया. धन्यवाद प्रस्ताव प्रो सोनी सलोनी ने दिया.

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