रिलायंस ज्वैलरी डकैती : अपनों से नहीं बनी बात अब पड़ोसी का सहारा

समस्तीपुर : अभी कुछ माह पूर्व तक अपराध नियंत्रण की बड़ी- बड़ी बातें कहने वाली समस्तीपुर पुलिस की सारी कलई रिलायंस ज्वेलरी डकैती मामले ने खोल कर रख दी है. डकैती के दस दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस अपराधियों को पकड़ना दूर की बात उनकी पहचान करने में भी सफल नहीं हो सकी है. ऐसा भी नहीं है कि घटना में शामिल अपराधियों ने अपने आप को छुपाने की कोशिश की थी. दर्जनों सीसीटीवी फूटेज पुलिस के पास मौजूद हैं जिसमें अपराधियों के चेहरे को साफ देखे जा सकते हैं. बावजूद इसके पुलिस उनका सुराग तक नहीं लगा पा रही है तो चुस्ती के दावों पर सवाल तो उठेगा ही. चर्चा तो यह भी है कि पूर्व में जिले में पदस्थापित पुलिस वालों जो फिलहाल पड़ोस के जिलों में पदस्थापित हैं उन्हें इस कांड के उद्भेदन के लिये अनाधिकृत रुप से लगाया गया है. हालांकि इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. वहीं पुलिस सूत्रों का बताना है कि दोनों अधिकारियों को वरीय अधिकारियों के मौखिक आदेश से काम पर लगाया गया है. लेकिन दो दिनों तक पटना और हाजीपुर के विभिन्न इलाकों की खाक छानने के बाद भी फिलहाल स्थानीय पुलिस के हाथ खाली ही हैं.

उद्भेदन में मदद करने पर मिलेगा 25 हजार इनाम

रिलायंस ज्वैलरी डकैती मामले में अब एसपी ने घटना के उद्भेदन के लिये इनाम की भी घोषणा की है. जारी पत्र में कहा गया है कि मुफस्सिल थाना कांड संख्या 30/ 24 में शामिल अपराधियों की सूचना देने वाले किसी भी आम नागरिक या पुलिस को 25 हजार रुपये इनाम दिया जायेगा. बता दें कि एसपी स्तर पर इनामी राशि की अधिकतम सीमा 25 हजार ही है. इससे अधिक की राशि की घोषणा आइजी और पुलिस मुख्यालय स्तर पर ही की जा सकती है. यह घोषणा डकैती कांड के खुलासे में मिल रही विफलता और पुलिस की हताशा की ओर साफ इशारा कर रही है. साथ ही घटना के दूसरे दिन जांच को पहुंचे दरभंगा प्रक्षेत्र के डीआइजी बाबूराम के दावों पर भी सवाल खड़ा करता है जिसमें उन्होंने अपराधियों के पहचान कर लिये जाने की बात कही थी.

अपराधी से ज्यादा शराब तस्कर पर नजर

लोगों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि पुलिस अपराधियों पर नजर रखने की जगह शराब तस्करों पर ज्यादा ध्यान दे रही है. जिसका नतीजा है कि पुलिस का पूरा तंत्र अपराध नियंत्रण को लेकर तैयार किये गये जाल को धीरे-धीरे खुद ही समाप्त कर दिया. नतीजा है कि आज किसी भी थाने के पास अपने मुखबिर शायद ही हों जो अपराध नियंत्रण में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. वहीं टाइगर मोबाइल दस्ते का नाम बदल कर टीम हॉक्स रखा गया. बड़े जोर-शोर से एसपी ने इसे लांच भी किया. लेकिन जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं हुआ. इस टीम के सदस्य हर शाम किसी भी चौक पर शराब कारोबारी से उगाही करते देखे जा सकते है. इसी का. नतीजा है कि अपराधी सरेशाम शहर में घटना को अंजाम देकर निकल गये और कानोकान पुलिस को तब तक खबर नहीं हुई जब तक सभी अपराधी मौका-ए-वारदात से सुरक्षित निकल नहीं गये.


abhay singh
prabhat khabar
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