समस्तीपुर : शिक्षा विभाग ने मिशन दक्ष के तहत चिन्हित वर्ग 3-8 तक के छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी होने पर पोषक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा लेने को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने निर्देशित किया है. विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार जिन विद्यालयों में छात्रों के अनुपात के अनुसार शिक्षकों की कमी है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक अपने पोषक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालयों के एचएम को अविलंब पत्र देकर शिक्षकों की मांग करेंगे. शिक्षक मिलने पर समय सारणी के अनुसार विशेष कक्षा का संचालन करेंगे. विदित हो कि शिक्षा विभाग द्वारा 1 दिसंबर से मिशन दक्ष की शुरूआत की है. कमजोर बच्चों को चिहिंत कर विशेष कक्षा संचालन का निर्देश दिया गया था. वहीं एक शिक्षक को पांच कमजोर बच्चों को गोद लेकर हिन्दी, अंग्रेजी व गणित में दक्ष करना है. डीईओ द्वारा जिले के सभी विद्यालयों के शिक्षकों को विद्यालय में छह घंटी पठन-पाठन कराने का भी सख्त निर्देश दिया है. विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा छह घंटी पठन-पाठन नहीं कराने पर विद्यालय के प्रधानाध्यापकों समेत सहायक शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई करने को लेकर चेतावनी दी गई है. डीईओ मदन राय ने कहा कि सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले कमजोर बच्चों के प्रति तेज बच्चों की सोच कुछ और ही रहती है, लेकिन अब कमजोर बच्चों के प्रति शिक्षकों द्वारा विशेष ध्यान देते ही वो भी इंटेलिजेंट बन जायेंगे. माना जा रहा है कि उनमें बहुत बड़ा बदलाव आयेगा. अपनी कक्षा में स्मार्ट छात्रों की तरह ही फटाफट जवाब देना शुरू कर देंगे. कमजोर बच्चों में बदलाव देख उनके माता-पिता भी प्रसन्न होंगे. उसके बाद वे बच्चों को नियमित विद्यालय भेजना शुरू कर देंगे. डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने कहा कि जहां बच्चे विद्यालयी शिक्षा का केंद्र होते हैं, बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक अध्यापक की होती है. बच्चों में ज्ञान की समझ विकसित करने, कक्षा कक्ष प्रबंधन, प्रभावी छात्र शिक्षक संवाद एवं निर्देशों की उत्तमता, संरचित अध्यापन एवं सीखने पर जोर देने वाली गतिविधियों के दृष्टिकोण से इन कार्यविधियों का सर्वाधिक महत्व है. एक छात्र की अध्ययन प्रगति का आकलन करना शिक्षक की प्राथमिक भूमिकाओं में से एक है. कक्षा में छात्रों के नियमित और निरंतर मूल्यांकन से अभिप्राय बच्चों और माता-पिता को प्रतिक्रिया देना, शिक्षक को प्रतिक्रिया और बच्चों के बीच अध्ययन समस्याओं के समाधान के लिए हल निकालना है. अध्ययन मूल्यांकन तंत्र पर आधारित एक शैक्षिक वातावरण वाली कक्षा में ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि शिक्षक और छात्र दोनों ही सीखने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमें क्या मूल्यांकन करना है इसमें सुधार किया जा सकता है. छात्र अपने अध्ययन में कितनी प्रगति कर रहे हैं और इसके साथ-साथ शिक्षा के संपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के मामले में व्यवस्था का निष्पादन कैसा है इसके लिए मूल्यांकन पर आधारित कक्षा के साथ व्यापक स्तर पर उपलब्धि सर्वेक्षण को जानने की भी आवश्यकता होती है.