समस्तीपुर: सिंघिया के बंगरहट्टा में रामायण सत्संग समिति एवं ग्रामवासियों के सहयोग से रामकथा कराया जा रहा है. इसमें वृंदावन से आये कथावाचक दीदी दिव्यांशीजी और आचार्य उदय नारायण दीक्षित ने विधि विधान से श्री गणपति पूजन कलश और नवग्रह का पूजन करवाया. दीदी दिव्यांशीजी ने बताया कि माता सती ने अभिमान वश कूंभज ऋषि से श्री राम की कथा को नहीं सुना और श्री राम पर संदेह किया. उसके बाद माता सती बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में गई. भगवान शंकर का और अपना अपमान सहन नहीं कर सकी. योग अग्नि के द्वारा अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया. लेकिन माता सती ने दोबारा जन्म लिया और उसके बाद हर-गौरी का विवाह आनंदपूर्वक संपन्न हुआ. हिमाचल ने कन्यादान दिया. विष्णु भगवान तथा अन्यान्य देव और देव-रमणियों ने नाना प्रकार के उपहार भेंट किए. ब्रह्माजी ने वेदोक्त रीति से विवाह करवाया. विवाह उत्सव का आनंद लेते हुए सभी देवताओं ने झूमते नाचते गाते उपस्थित हुए. कथा के अंत में भगवान शंकर के विवाह और दिव्य देवताओं और भूत प्रेतों सहित बारात कि बहुत सुंदर झांकी भी दिखाई गई. जिसका सभी ने दर्शन किया.