समस्तीपुर : शहर के कृष्णा टाकीज रोड से लेकर मालगोदाम चौक तक हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण हटाया गया. इस दौरान जिला परिषद के मार्केटिग कॉम्प्लेक्स को भी जेसीबी से तोड़ा गया. सदर एसडीओ दिलीप कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए अतिक्रमण को हटाया गया है. इधर जिला परिषद मार्केटिग कॉम्प्लेक्स तोड़ जाने से आवंटित दुकान के दुकानदारों में काफी आक्रोश है. दुकानदारों का कहना था कि दुकान टूट जाने के बाद वे लोग सड़क पर आ गए है. शहर के मालगोदाम चौक के समीप तीन साल पहले एक करोड़ 50 लाख रुपये से निर्मित जिला परिषद मार्केट काम्प्लेक्स की दुकान तोड़ने का काम मंगलवार से शुरू हुआ. पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन द्वारा इसे तोड़ा जा रहा है. जानकारी के अनुसार प्रथम चरण में 24 दुकानों को तोड़ा जाना है. अनुमंडल पदाधिकारी दिलीप कुमार द्वारा मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की तैनाती की गई थी. मजिस्ट्रेट नवीन कुमार ने बताया कि मार्केट काम्प्लैक्स निर्माण के उपरांत अधिवक्ता संजय कुमार ने आपत्ति जताते हुए नाला पर परिसर का निर्माण कराने को लेकर उच्च न्यायालय पटना में मामला दायर किया था. इसको लेकर न्यायालय ने उक्त निर्माणाधीन दुकान को तोड़ने का आदेश जारी किया था. बताते चले कि इससे पूर्व यही 10 फरवरी 2020 को हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटा जिला परिषद द्वारा मार्केटिग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया गया था. विदित हो कि उक्त स्थल पर मार्केटिग कॉम्प्लेक्स निर्माण कराने के लिए जिला परिषद द्वारा शिलान्यास किया गया था. इसके बाद स्थल की मापी हुई थी. जिसमें 78 दुकान व झोपड़ी का निर्माण पाया गया था. इसके बाद जिला परिषद की ओर से सभी को खाली करने का नोटिस जारी किया गया था. अतिक्रमण के बाबत कृष्ण कुमार सिंह सहित अन्य ने उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था. जिस पर उच्च न्यायालय ने छह जनवरी 2020 को आदेश पारित कर दिया. इस पर प्रशासनिक स्तर पर अतिक्रमित भूमि खाली कराने की प्रक्रिया हुयी थी. शहर के मालगोदाम चौक के समीप जिला परिषद अपनी वर्षो से खाली जमीन पर चार करोड़ रुपये की लागत से मार्केटिग कॉम्प्लेक्स का निर्माण करायी थी. इसमें लगभग 150 दुकानों का निर्माण किया जाना था. दूसरी ओर इस कार्रवाई के बाद अब मार्केट काम्पलेक्स का निर्माण भी सवालों के घेरे में आ गया है जानकारों का कहना है कि जब उक्त भूमि जिला परिषद की नहीं थी तो कैसे मार्केट कॉपलेक्स के निर्माैण में टैक्सपेयर का पैसा बहाया गया. अब इसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिये