समस्तीपुर : शहर के विमेंस कॉलेज में प्रधानाचार्य प्रो. सुनीता सिंह की अध्यक्षता में हिंदी विभाग द्वारा विश्व हिंदी दिवस मनाया गया, जिसका विषय हिंदी पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में तारतम्य स्थापित करना था. प्रधानाचार्य प्रो. सिन्हा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है. टेक्नोलॉजी के माध्यम से हिंदी का लगातार विस्तार हो रहा है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण हमारा परंपरागत ज्ञान और बौद्धिकता का ह्रास होता जा रहा है. भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी. विभागाध्यक्ष प्रो. सोनी सलोनी ने कहा कि हिंदी विश्व को एक सूत्र में बांधती है और यह संदेश देती है कि विश्व हमारा परिवार हैं. डा कुमारी अनु ने कहा की हिंदी की बदौलत भारत विश्व गुरु बन सकता है. यह भारतीय संस्कृति का वाहक है. डॉ विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि विकसित भारत तभी साकार होगा जब हम सभी भारतीय हिंदी को हृदय से स्वीकार करेंगे. इंटरनेट के इस युग में हिंदी को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है. 22 वीं विश्व भाषा एथनोलॉग रिपोर्ट, वर्ष 2019 के अनुसार विश्व में हिंदी जानने वालों की संख्या अंग्रेजी व मंदारिन (चीन की भाषा) के बाद सर्वाधिक है. हिंदी भाषा पर जारी किये गये इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में विश्व में हिंदी जानने वालों की संख्या 615 मिलियन है. विश्व के लगभग 12 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा जानते हैं एवं भारत देश के लगभग 80 प्रतिशत लोगों द्वारा हिन्दी का प्रयोग किया जाता हैं. डॉ लक्ष्मण यादव ने कहा कि दुर्भाग्य है कि भारत में हिंदी बोलना असभ्य समझा जाता है यह गुलामी की सोच है. कार्यक्रम में डॉ. सुरेश साह, डॉ. नेहा कुमारी जायसवाल, डॉक्टर फरहत जबीन ने भी अपने विचार व्यक्त किये.