समस्तीपुर : वचनवंश के सातवें आचार्य रामजीवन साहेब का 47 वां दो दिवसीय निर्वाण महोत्सव का शुभारंभ स्थानीय संत कबीर रामजीवन मुसाय नायक महिला महाविद्यालय परिसर में किया गया. उद्घाटन बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के शैक्षणिक सलाहकार प्रो डॉ नवीन कुमार अग्रवाल, परामर्शी राजेंद्र प्रसाद सिंह, महंत विद्यानंद शास्त्री, प्रो डॉ गौतम कुमार एवं महंत रामदास साहब ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया. प्रति वर्ष अगहन कृष्ण पक्ष पंचमी को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में देश-विदेश से श्रद्धालु, संत-महात्मा एवं कबीर धर्मावलंबी पहुंच कर कबीर के बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया. समारोह को संबोधित करते हुए डॉ अग्रवाल ने कहा कि रोसड़ा को आदिकाल से ही कबीर तीर्थ के रूप में देखा जाता रहा है. कहा जाता है कि कबीर स्वयं रोसड़ा पहुंच आचार्य कृष्ण कारक साहेब को वचनवंश परंपरा चलाने का वचन दिया था. तभी से कबीर वचनवंश परंपरा चलती आ रही है. कृष्ण कारक साहेब के बाद वचनवंश की कई धारा चली, पर रोसड़ा का अपना एक अलग ही महत्त्व है. इस मठ के कई शिष्य महंत विदेश में कबीर पंथ का प्रचार कर रहे हैं. कबीर ने मनुष्य के गिरवी रखे दिमाग को छुड़ाने का काम किया. सत्संग से विवेक पैदा होता है. सत्संग खेतों में खाद के समान मनुष्य में काम करते हैं. सत्संग और विवेक ही मनुष्य के दो आंख हैं. महंत विद्यानंद शास्त्री ने कहा कि संत कबीर आश्रम ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष आचार्य राम जीवन निर्माण महोत्सव मनाया जाता है अपने गुरु को श्रद्धांजलि देने का यह अनूठा तरीका है. मनुष्य का अपना सर गुरु के चरणों में झुकना चाहिए. दूर-दूर से आये संत-महात्माओं को कबीर एवं रामजीवन साहेब के जीवन व प्रवचनों को बताते हुए कहा कि मनुष्य को अपना सर गुरु के शरण में झुकना चाहिए. वक्ताओं ने कहा कि व्रत का मतलब बुरी वासना से छुटकारा लेने की प्रतिज्ञा है. संचालन सचिव पुरुषोत्तम कुमार एवं रतन विहारी ने संयुक्त रूप से किया.