समस्तीपुर : लगातार जारी शीतलहर के बीच शुक्रवार को जिले की हवा की गुणवत्ता भी बेहद खराब हो गयी. आज सुबह में जहां एक्यूआई का स्तर 271 था, वहीं शाम में यह बढ़कर 295 पर पहुंच गया. विदित हो कि हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंडों से अधिक है है नहीं इसे एक्यूआई के उपयोग से मापा जाता है.एक्यूआई का स्तर 50 से नीचे रहने पर बेहतर माना जाता है.51 से 100 के बीच यह संतोषजनक माना जाता है. 101 से 200 पर माध्यम माना जाता है, 201 से 300 के बीच खराब माना जाता है. 301 से 400 के बीच बहुत खराब माना जाता है.401 से 500 और उससे अधिक होने पर यह बहुत गंभीर स्थिति माना जाता है. जिले का एक्यूआई पूर्व में 400 पार तक जा चुका है.एक ओर जिले में ठंड का प्रकोप लगातार जारी है, वैसी स्थिति में हवा की गुणवत्ता बिगड़ना सेहत के लिये दोहरा खतरा उत्पन्न करता है.कई तरह की बीमारियों का खतरा उत्पन्न करताडॉ. सोमेन्दु मुखर्जी बताते हैं कि वायु की गुणवत्ता का खराब होना चिंता का विषय है. जहरीली हवा कई तरह की बीमारियों का खतरा उत्पन्न करता है. बच्चों, बुजुर्गों तथा बीमार लोगों के लिये यह अधिक खतरनाक है. खासकर ठंड के मौसम में इसका दुष्प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है. इसके कारण आंखों से लेकर फेफड़े तक खतरा हो सकता है. गंभीर स्थितियों में यह कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकता है. प्रदूषण की स्थिति में शहरी को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिये फेफड़ों को अधिक मेहनत करनी होती है.प्रारंभिक स्थितियों में थकान, गले में खरास, खांसी, सिरदर्द, आंखों में जलन या त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं.वहीं लंबे समय तक हवा की खराब गुणवत्ता में रहने पर फेफड़े के कैंसर का खतरा उत्पन्न हो सकता है.पर्यावरण के प्रति जागरूकता की जरूरतएक्यूआई का स्तर 295 जाना खतरनाक है. हवा की खराब गुणवत्ता को सही करने के लिये पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की जरूरत है. इसको लोगों स्कूल से लेकर हर स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे. जलावन में लकड़ी का उपयाेग बंद करना होगा. डीजल व पेट्रोल वाले वाहनों का कम से कम परिचालन करना होगा. निर्माण कार्य वाले स्थलों को ढककर काम करने की जरूरत है.प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग पर ध्यान देने की जरूरत है.