समस्तीपुर : राज्य सरकार द्वारा समय रहते एनआईओएस द्वारा जारी 18 माह के डीएलएड डिग्री को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं करने के कारण नवनियुक्त शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. साथ ही द्वितीय चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा में आवेदन कर चुके ऐसे अभ्यर्थियों के मन में भी शंका व्याप्त है. बताते चलें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत विद्यालयों में कार्यरत सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक प्रशिक्षित होना अनिवार्य था. इसी क्रम में सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के अलावा निजी विद्यालयों के भी बहुसंख्य शिक्षकों ने एनआईओएस के माध्यम से नामांकन लेकर डीएलएड की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. यह पाठ्यक्रम मात्र 18 महीना का ही था. एनसीटीई के द्वारा तय मापदंड के अनुसार प्रारंभिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए 2 वर्ष का डीएलएड पाठ्यक्रम अनिवार्य है. इस क्रम में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी 2 वर्ष से कम अवधि के डीएलएड कोर्स की मान्यता नहीं दी गई है. अब सरकार के सामने यक्ष प्रश्न है कि यदि आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षा में 18 माह के डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मान्यता नहीं दी जाती है तो प्रथम चरण की भर्ती परीक्षा में इसी डिग्री पर नियुक्त शिक्षकों का क्या होगा ? जाहिर है कि एक ही तरह की परीक्षा में समान योग्यता रखने वाले अभ्यार्थियों के लिए अलग-अलग नियम नहीं बनाया जा सकता. वहीं दूसरी ओर राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में पूर्व से नियुक्त शिक्षक जो एनआईओएस से उत्तीर्ण होकर प्रशिक्षित वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं, उनके मन में भी इस बात को लेकर शंका व्याप्त है.क्या है पूरा मामला
अभ्यर्थियों ने बताया कि नैनीताल हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि एनआईओएस से किया गया 18 महीने का डिप्लोमा कोर्स 2 साल के डिप्लोमा डिग्री के बराबार है. इसके बाद उत्तराखंड सरकार और जयवीर सिंह व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह याचिका स्वीकार की और नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का यह कहना कि 18 महीने का डिप्लोमा और 2 साल का डिप्लोमा डिग्री बराबर है, पूरी तरह से गलत है. पीठ ने कहा कि एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को जारी नोटीफिकेशन में कहा है कि शिक्षक भर्ती के लिए कैंडिडेट के पास कम से कम 2 साल का डिप्लोमा होना जरूरी है. इन नोटीफिकेशन्स में 18 महीने के डिप्लोमा को योग्यता के रूप में स्वीकार करने की बात कहीं नहीं है.