राम का चरित्र भारतीय संस्कृति की आत्मा है : गोवर्धन दास

समस्तीपुर: जिले के मोहिउद्दीननगर अन्दौर स्थित ठाकुरबाड़ी परिसर में शनिवार को आयोजित रामकथा कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. जहां रामकथा की मंदाकिनी प्रवाहित हो रही थी. कथावाचक महंत गोवर्धन दास महाराज ने कहा कि धर्म मात्र बौद्धिक उपलब्धि नहीं है. वह मनुष्य की स्वाभाविक आत्मा है. मनुष्यता के आवरण से ढकी है. इस कारण वह अज्ञात है. आवरण से उसका चैतन्य ढका हुआ है, लेकिन वह अस्त नहीं है. सत्य को जीवन में मन, वचन और कर्म से स्वीकार करना चाहिए. सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा व सम्मान प्राप्त करता है. सत्य के आचरण के आधार पर ही हम एक- दूसरे पर विश्वास करते हैं. परस्पर विश्वास पर ही समाज की नींव रखी है. कहा कि रामकथा के जरिए मानव का जीवन संवर जाता है. वह बुरे कर्म को छोड़ कर नेकी की राह पर चलता है. राम से महत्वपूर्ण है राम की कथा. भारतीय जनमानस के रोम-रोम में राम बसे हैं. राम का चरित्र भारतीय संस्कृति की आत्मा है. सत्संग से जुड़ने के बाद मानव अपने साथ-साथ परिवार और समाज का भी कल्याण करने लग जाता है. महाराज ने विशेषकर युवाओं से कहा कि अपनी सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्र उत्थान के लिए करें ताकि विश्व पटल पर भारत एक बार फिर से गौरवान्वित हो सके. कथा के दौरान कलाकार विराजन सिंह, प्रियंका, अमित झा, लालटुन सिंह, मोनू सिंह के सुमधुर भजनों को सुनकर श्रद्धालु भक्ति सागर में गोता लगा रहे थे. वहीं अयोध्या से पूजित अक्षत का भी श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया गया. इस मौके पर डॉ. राज कुमार सिंह, अशोक सिंह, शंभूनाथ सिंह, अरुण सिंह गुरुदेव, केदारनाथ सिंह, सुधीर सिंह, बल्ली भगत, सुरेंद्र राय, विदेंश्वर पासवान, निक्की रतन, चंदन सिंह आदि की सक्रियता देखी गई.

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