सक्षमता परीक्षा : फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों ने काटी कन्नी

समस्तीपुर : नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिलाने के लिए शिक्षक सक्षमता परीक्षा आयोजित की जा रही है. जिले के विभिन्न विद्यालयों में करीब तेरह हजार नियोजित शिक्षक बहाल है लेकिन सक्षमता परीक्षा के लिए करीब नौ हजार ने ही आवेदन किया है. फर्जी प्रमाण पत्र बहाल शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा से दूरी बनाते हुए कन्नी काट ली है. वही कुछ ऐसे शिक्षक भी है जो एक दो वर्षो में सेवानिवृत्त होने वाले है. छह मार्च तक चलने वाली यह परीक्षा राज्य के 9 जिलों में कुल 52 कंप्यूटर केंद्रों पर ली जा रही है. राज्यकर्मी बनने के लिए नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य बताया गया है. सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के लिए सूबे के सभी जिलों से नियोजित शिक्षकों ने आवेदन दिया था. आवेदनों की जांच के क्रम में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. सूबे में एक ही टीईटी,एसटीईटी और बीटेट क्रमांक पर कई जिलों में शिक्षक कार्यरत है. यानी एक क्रमांक पर कई शिक्षक काम कर रहे हैं. यह स्थिति किसी एक जिले नहीं बल्कि अधिकतर जिलों में है. भले ही टीईटी व एसटीईटी उत्तीर्ण करने वाले एक हों, लेकिन उस नाम और रोल नंबर पर कई लोग बहाल कर दिये गये है. यह खुलासा तब हुआ जब दूसरे जिले के स्थानीय निकायों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा को लेकर आवेदन किया. अभी भी सैकड़ों नियोजित शिक्षकों की नौकरी खतरे में है. यही कारण है कि कई नियोजित शिक्षकों के द्वारा सक्षमता परीक्षा का विरोध भी किया जा रहा है. संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों का होगा दोबारा सत्यापनसरकारी प्राइमरी स्कूलों में फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए चरणबद्ध ढंग से सत्यापन करवाया जायेगा. संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों का सत्यापन संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय से दोबारा करवाया जायेगा. वहीं मेधा सूची पर भी निगरानी विभाग की पैनी नजर है. निगरानी विभाग का कहना है कि फर्जीवाड़ा सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अमूमन तीन तरीकों से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाता है. पहली श्रेणी में फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी हासिल करना, दूसरी श्रेणी में किसी अन्य के प्रमाण-पत्रों के आधार पर नौकरी करना और तीसरी श्रेणी में नौकरी किसी की होती है और पढ़ता कोई और है यानी प्रॉक्सी शिक्षक. जानकारी के मुताबिक 11,454 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच होनी है. अब तक करीब 3545 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल पाया है. वैसे तो फर्जी व अमान्य शैक्षणिक प्रमाण-पत्र पर बहाल इन शिक्षकों पर कार्रवाई कई वर्षों से कागजी तौर पर की जा रही है. जब विभाग ने सख्ती बरतते हुए ऐसे शिक्षकों को विभागीय वेबसाइट पर अपने प्रमाण पत्रों को अपलोड करने का निर्देश दिया था तो ऐसे कई शिक्षक शपथ पत्र विभागीय वेबसाइट पर अपलोड कर अजीबो गरीब तर्क दिए है. बताया जा रहा है कि कई शिक्षक अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र के खोने का हवाला देकर कार्रवाई से बचाव की चक्कर में हैं तो कई अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र नष्ट होने की बात कह रहे हैं. इधर निगरानी विभाग का कहना है कि नियोजन इकाई और मुखिया के साथ तत्कालीन पंचायत सचिव की भूमिका की जांच भी की जायेगी. शिक्षा विभाग के मुताबिक पहले शिक्षकों के डॉक्यूमेंट शिक्षा विभाग को मिल जाएंगे उसके बाद तत्कालीन नियोजन इकाई से मेधा सूची तलब करने के बाद तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव की भूमिका की जांच की जायेगी. कोर्ट से अमान्य किए गए शैक्षणिक संस्थानों के प्रमाण पत्र पर जिले में नियोजित शिक्षकों की संख्या कम नहीं है. लेकिन नियोजन इकाई की मेहरबानी से ऐसे नियोजित शिक्षकों की चांदी रही है. ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ उनके प्रमाण पत्रों के जांच तक ही सिमट कर रह गई है.

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