स्कूलों की विकास राशि खर्च करने की मोहलत 31 जनवरी तक

समस्तीपुर : जिले की उच्च और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छात्र और विकास कोष में करोड़ों की राशि पड़ी हुई है. बावजूद इसके इन राशि का उपयोग कई स्कूलों के हेडमास्टरों द्वारा नहीं किया जा रहा है. यही कारण है कि विभाग की मांग पर महज कुछ स्कूलों ने ही राशि खर्च करने की जानकारी दी है. जबकि विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि 31 जनवरी तक राशि खर्च नहीं किया गया तो उसे विभाग के खाते में जमा कराना होगा. ऐसे में बिना विकास के स्कूलों के खाते में जमा करोड़ों रुपए वापस होने की संभावना प्रबल हो गई है. बताते चले कि अधिकांश विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. यही नहीं 90 फीसदीसे ज्यादा स्कूलों में पेयजल के लिए बच्चे चापाकल पर आश्रित हैं. वहीं साल में एक या दो बार ही शौचालयों की सफाई होती है. जबकि छात्र और विकास कोष की राशि से हेडमास्टर को पांच लाख प्रति वर्ष खर्च करने की अनुमति एक साल पहले मिली है. ऐसे में करोड़ों रुपए उपलब्ध होने के बावजूद स्कूलों की बदहाल स्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है, यह आसानी से समझा जा सकता है. हालत यह है कि रंगरोगन नहीं होने से कई स्कूल भवन जर्जर हो रहे हैं. शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्र के अनुसार, इन पैसों का उपयोग विद्यालयों की बेहतरी को नहीं किया गया तो 31 जनवरी के बाद सरकारी स्कूलों के ये पैसे राज्य सरकार के खाते में जमा हो जायेंगे. बेशक यह मामला प्राचार्यों की ओर से लापरवाही का बनता है. जब प्राचार्यों को विद्यार्थियों से वसूल की गयी विकास शुल्क की राशि खर्च करने का पूरा अधिकार है तो फिर वर्षो से उच्च विद्यालयों में विकास शुल्क की राशि क्यों जमा है. नाम नहीं छापने की शर्त पर कई प्राचार्यों ने यह कहकर अपना बचाव किया कि प्रशासनिक झमेले में पड़ने के भय से ही विकास शुल्क की राशि विद्यालयों के बैंक खातों में जमा है. इस राशि से विद्यालयों में विकास कार्य कराने में विद्यालय प्रबंध समितियों से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक स्वीकृति लेनी पड़ती है. हालांकि इस साल इस राशि में अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद जरूर कमी आयी.

error: Content is protected !!