स्कूलों में एजेंसियों द्वारा की जा रही साफ-सफाई की रिपोर्ट तलब

समस्तीपुर : स्कूलों में एजेंसियों द्वारा की जा रही साफ-सफाई की प्रतिदिन की रिपोर्ट स्कूल के प्रधानाध्यापकों को सौंपना होगा. यह जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई एजेंसियों द्वारा शुरू की गई है. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा एजेंसियों को आवंटित प्रखंड के विद्यालयों की सूची उपलब्ध कराते हुए उनके साथ बैठक करने का भी निर्देश दिया गया है. एजेंसियों को सफाई से जुड़ी प्रतिदिन की रिपोर्ट स्कूलों में जमा करना होगा. इसके बाद स्कूल के प्रधानाध्यापक बीईओ के साथ बैठक कर साफ-सफाई से जुड़ी रिपोर्ट जमा करेंगे. विद्यालयों की साफ-सफाई पर होने वाले खर्च का आकलन कर विभाग को रिपोर्ट भेजना होगा. विशेष कर स्कूलों के शौचालयों की प्रतिदिन सफाई हो और उसमें नल से जल की आपूर्ति रहे, इसे सुनिश्चित किया जायेगा. निजी एजेंसियों से संपर्क कर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया है. विदित हो कि सभी सरकारी विद्यालयों में एक सितंबर से साफ-सफाई का कार्य निजी एजेंसी से कराने का निर्देश दिया गया था. विशेष कर स्कूलों के शौचालयों की प्रतिदिन सफाई हो और उसमें नल से जल की आपूर्ति रहे, इसे सुनिश्चित किया जाये. इस बावत निजी एजेंसियों से संपर्क कर हर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया था. विभाग के निदेशक (प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी ने जिले को लिखे पत्र में कहा था कि एजेंसी की सूची जिले को भेज दी गई है. प्रखंड को इकाई मानते हुए साफ-सफाई की जिम्मेदारी एजेंसी को दी जायेगी. निजी एजेंसी को अपने कर्मियों से विद्यालय के शौचालय के साथ-साथ सभी कमरों, बेंच-डेस्क, छत-दरवाजा, सीढ़ी, बरामदा, बाहरी क्षेत्र की भी सफाई की जायेगी. डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि प्राथमिक तथा मध्य विद्यालयों में स्वच्छता मापदंड के अनुपालन पर बल दिया गया है. शौचालय की साफ-सफाई बेहतर ढंग से रखने के साथ ही बच्चों को पीने के लिए पेयजल स्रोत व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक (एचएम) की तय की गई है. जांच के दौरान शौचालय में गंदगी पाई गई या पेयजल की सुविधा नहीं मिली तो संबंधित एचएम को जिम्मेदार मान कर कार्रवाई की जायेगी. विद्यालय के रख-रखाव के लिए समग्र विद्यालय अनुदान की राशि जारी की जाती है. फिर भी निरीक्षण के दौरान स्कूलों के शौचालय में गंदगी पाई जाती है. इसको लेकर विभाग काफी चिंतित है. उन्होंने कहा है कि यह काफी चितनीय है कि स्कूलों में शौचालय तथा पेयजल के श्रोत बेहतर नहीं है. इससे यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छता के लिए दी गई अनुदानित राशि का उपयोग स्कूलों में नहीं हो रहा है. सरकार द्वारा निश्चित प्रावधान के तहत स्वच्छता पर भी काम करना आवश्यक है. उस राशि का प्रावधान के मुताबिक स्वच्छता पर खर्च करना है, ताकि शौचालय स्वच्छ रहे तथा बच्चों को शुद्ध पेयजल मिल सके. स्वच्छता पर राशि खर्च करने के बाद ही स्कूलों के भवन की रंगाई पुताई करनी है. यह आदेश प्राइमरी मिडिल तथा हाई स्कूल तक के स्कूलों को दिया गया है.

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