समस्तीपुर: डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में जारी किसान मेला में मशरूम हब किसानों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा. इस वर्ष मशरूम हब में प्रधानमंत्री के सामुदायिक कृषि को अपना कर उनकी सोच को जमीन पर उतारते नये उद्यमियों ने मेले में अपना जलवा दिखाया. इन उद्यमियों ने कृषक उत्पादक समूह बना कर विभिन्न किस्मों के मशरूम उत्पादन और मशरूम के विविध उत्पादों का व्यवसाय आरंभ किया है. इसमें राजेन्द्र पूसा एफपीओ मुजफ्फरपुर, बांका मशरूम एफपीओ बांका, जागृती मशरूम एफपीओ रहथुआ, अरुण्या मशरूम एफपीओ बक्सर, सहजानन्द मशरूम एफपीओ सिमरी बक्सर एवं प्रिया फुड्स एफपीओ कल्याणपुर समस्तीपुर शामिल हैं. मशरूम वैज्ञानिक डाॅ दयाराम ने बताया कि मेले का थीम खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर है. खेती बिना खेत वाला मशरूम एक मात्र ऐसा कृषि उत्पाद है जो स्वाद, सेहत और समृद्धि का बेजोड़ काॅम्बो है. यह खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ सुनिश्चित आय की गारण्टी भी देता है. मेला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के शिक्षा विभाग द्वारा पोषित अनुसूचित जाति/जनजाति उपयोजना नई दिल्ली के तत्वावधान में मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें देश भर से अनुसूचित जाति/जनजाति के किसान प्रशिक्षण ले रहे हैं. इसमें विनिता कुमारी के नेतृत्व में बांका से 110 महिला 20 पुरुष सहित कुल 130, बक्सर से अमित पाण्डेय के नेतृत्व में 10 आदिवासी एवं 40 अनुसूचित जाति व अन्य कुल 50, जमुई से मोहन प्रसाद केशरी के नेतृत्व में 70 महिला 10 पुरुष सहित कुल 80 संथाली व उरांव समुदाय के आदिवासी यथा सोरेन, मूर्मू, सोरेन, टुडू, मरांडी, किसकू आदि के अलावा मुजफ्फरपुर, पटना, दरभंगा, मधुबनी, पश्चिम चंपारण से भी अनुसूचित जाति के लोग प्रशिक्षण में शामिल हो रहे हैं. इस दौरान मशरूम उद्यमियों में विक्रम बांदे के किसान मशरूम उत्पादन सह प्रशिक्षण केन्द्र के संस्थापक दीपक कुमार के पकौड़े, कैजिया के लालबाबू सिंह एवं कोठिया की रीता देवी के मोमोज, बड़े, कटलेट, भूजा लोग देर शाम तक चटकारे लेकर खाते दिखे. स्टाॅलों पर मशरूम पापड़, बड़ी एवं पनीर ने भी लोगों को आकर्षित किया. मौके पर डाॅ सुधा नंदनी, विनीता कुमारी, मोहन केशरी, पुष्पा झा, वैशाली कुमारी, नीलम देवी, मुन्नी खातून, मुकेश कुमार, सुभाष कुमार आदि थे.